ऐतिहासिक नगर ग्वालियर में नीरवजी और परमारजी।अद्भुत संयोग। दोनों ही व्यक्तित्व और रचना के महानायक। देशप्रेम से ओत-प्रोत। क्रांति की ज्वाला के अध्येता लगता है -गहन विचार-विमर्श के प्रति गंभीर मुद्रा में। हल्की-सी मुस्कराहट लिए अपनेपन के दीवाने दीवानगी को ज्योतिर्य कर रहे हैं। आदरणीय श्री जगदीश परमारजी और पंडित सुरेश नीरवजी को बधाई देता हूँ और ऐसे दिव्य विभूतियों को मै समर्पित भाव से नमन करता हूँ। आपका अपना ही टोहता हंस। जय लोकमंगल।
श्रद्धानावत
भगवान सिंह हंस
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