

कैसेबात कही जाती है ये कोई पंडित सुरेश नीरव से सीखे। प्रशांत योगीजी के प्रवचन की आत्मा को छूकर उन्होंने वक्तव्य दिया है। सचमुच योगीजी साधु के वेश में एक क्रांतिकारी ही हैं। जो समाज की रूढियों को तोड़ने की हरचंद कोशिश कर रहे हैं। नीरवजी ने उन्हें खतरों से आगाह भी कर दिया है। और उसी रास्ते पर चलने की प्रेरणा भी दी है।यही है कबीर की उलटबांसियां। नीरवजी स्वयं दार्शनिक हैं। वह सब समझते हैं। और सोच-समझ कर ही सलाह देते हैं।
योगीजी सोचें..हम साथ हैं..रहेंगे
डॉक्टर प्रेमलता नीलम
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