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Monday, February 14, 2011

जान देने से पहले अपनी एक किड्नी दे दो|

अशोक शर्माजी,
आपकी वेलेंटाइन डे पर हास्य रचना पढ़ी। पढ़कर मजा आ गया। सचमुच प्रेम में जो खोखले डॉयलाग मारे जाते हैं उनके आगे तो झूठे नेता भी पीछे रह जाते हैं। आपने अच्छी खिचाी की है,खासकर इन पंक्तियों में
प्रेमिका बोली - अपनी मीठी-मीठी बातों से
मेरे दिल को मत छेदो
और जान देने से पहले
अपनी एक किड्नी दे दो|

किडनी का नाम सुनते ही प्रेमी हड़बड़ाया
बोला तुम्हारी तो दोनो ठीक हैं, फिर किसलिए
बताइए - बताइए
प्रेमिका बोली - मुझे अपने लिए नही
अपनी दादी के लिए चाहिए
दादी का नाम सुनते ही प्रेमी वहाँ से दौड़ गया
अपनी प्रेमिका तो क्या
अपनी साइकल भी वहीं छोड़ गया|
मेरी शुभकामनाएं...
सुरेश नीरव

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