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Wednesday, February 23, 2011

बहुत शुक्रिया बड़ी मेहरबानी

श्री भगवानसिंह हंसजी 
आपकी सशक्त लेखनी का कमाल देख रहा हूं। आपने मेरे लिए जो उदगार प्रस्तुत किए हैं मैं उनका कायल हूं। और आपके प्रति अपना आभार व्यक्त करता हूं। चलिए एक जिंदा आदमी को बुत बना ही दिया हमारे इशु ने। अभिषेक मानवजी के सपूत जो न करें वो थोड़ा ही है। 
 अभिषेक मानवजी
मैं आपको आपकी  टिप्पणी  और बहुत सुंदर व्यंग्य के लिए  हार्दिक बधाई देता हूं। आप अच्छा लिखते हैं मगर इतना अच्छा क्यों लिखते हैं ये बात जरूर आपसे पूछना चाहता हूं। है कोई जवाब आपके पास। हे ईशु के परम पावन पूज्य पिताजी आप महान हैं। मानव में इंसान हैं। पूरा हिंदुस्तान हैं।
मेरे प्रणाम..
पंडित सुरेश नीरव

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