जितने चेहरे देखे हैं
सारे तुझसे फीके हैं
तेरे ख़त के अक्षर भी
फूलों जैसे महके हैं
तेरी साँसों के हिस्से
इन साँसों में रहते हैं
तू जाने किस हाल में है
मेरे नयना भीगे हैं
तुझको इक दिन पाएंगे
ऐसा दिल से कहते हैं
तुझको याद नहीं हैं हम
हम तुझको कब भूले हैं
यूँ जीते हैं तेरे बिन
हम किश्तों में मरते हैं - -
-नित्यानंद `तुषार`सारे तुझसे फीके हैं
तेरे ख़त के अक्षर भी
फूलों जैसे महके हैं
तेरी साँसों के हिस्से
इन साँसों में रहते हैं
तू जाने किस हाल में है
मेरे नयना भीगे हैं
तुझको इक दिन पाएंगे
ऐसा दिल से कहते हैं
तुझको याद नहीं हैं हम
हम तुझको कब भूले हैं
यूँ जीते हैं तेरे बिन
हम किश्तों में मरते हैं - -
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