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Sunday, February 20, 2011

नित्यानंद तुषार की ग़ज़ल

जितने चेहरे देखे हैं
सारे तुझसे फीके हैं

तेरे ख़त के अक्षर भी
फूलों जैसे महके हैं

तेरी साँसों के हिस्से
इन साँसों में रहते हैं

तू जाने किस हाल में है
मेरे नयना भीगे हैं

तुझको इक दिन पाएंगे
ऐसा दिल से कहते हैं

तुझको याद नहीं हैं हम
हम तुझको कब भूले हैं

यूँ जीते हैं तेरे बिन
हम किश्तों में मरते हैं - -
-नित्यानंद `तुषार`

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