जयलोक मंगल पर..इशुजी खूब लिख रहे हैं आजकल। और लिख भी रहे हैं तो इतना दमदार और दमदार कि पढ़कर लगता है क्यों न इन्हें किसी विश्वविद्यालय से मानद डीलिट की उपाधि दिलवा दी जाए। अच्छे-अच्छे मनुष्यों को एहसासे कमतरी हो जाता होगा इनकी पोस्ट पढ़कर। कल तो एक खुलासा और हुआ कि हमारे इशुजी हमारी ही तरह पीने-पिलाने के भी शौकीन हैं। और आजकल कड़की में चल रहे हैं इसलिए इनकी मधुशाला में एंट्री बैन है। और साकी कहीं भाग गई है।
अब तो इतनी भी नसीब नहीं है मयखाने में
जितनी कभी छोड़ दिया करते थे पैमाने में.
इशुजी दुखी मत होइए. आपके दिन भी फिरेंगे। बस आप अपनी भौं-भौं यूं ही जारी रखिए। मेरे प्यार..
तुम्हारे ताऊ-
पंडित सुरेश नीरव
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