मन का मन से नमन
डॉ मधु चतुर्वेदी की ये पंक्तियां अत्यंत प्रेरणास्पद लगीं :-
"आज करो पुरुषार्थ, सार्थ,
कल क्या होगा संशय क्या?"
"सूर्य कोटिश: दीप्त नयन में,
अंधियारे का फिर भय क्या?"
आशा करती हूं की सदैव उनसे प्रेरणा पाती रहूंगी
आदरणीय पंडित सुरेश नीरवजी को ब्रह्मर्षि उपाधि से सम्मानित किए जाने पर बहुत-बहुत बधाई। उनकी लेखनी को प्रणाम
पूजनीय जगदीश परमार जी को मेरी चरण वंदना मेरे लिए यह हार्दिक प्रसन्नता की बात है कि उन्होंने मेरी रचना को सरहाया और आशीर्वाद दिया
प्रशांत योगी जी को अनुपस्तिथि बहुत खल रही है
अरविन्द पथिक जी की रचना बहुत अच्छी थी
जय लोक मंगल परिवार के सभी सदस्यों को मेरी शुभकामनाएं
मंजु ऋषि (मन)
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