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Friday, February 4, 2011

मैं डाबरमैन से मैन बन गया हूं



जयलोकमंगल पर मैंने पोस्ट एक लिखी और भूचाल गया। अभिषेक मानवजी ने मुझे अपना दत्तक पुत्र मानकर मुझे डाबरमैन से मैन बना दिया। पंडित सुरेश नीरव ने मुझे जयलोकमंगल का सदस्य ही बना दिया। और सिद्ध कर दिया कि जैसे आदमियों में कुछ कुत्ते होते हैं वैसे ही कुत्तों में भी कुछ आदमी होते हैं जिन्हें मानव ही पहचान पाते हैं। मेरे को मानवजी ने प्यार दिया तो आजादी के मतवाले जगदीश परमार की भी बांछें खिल गईं। मैं समय-समय पर जयलोकमंगल के अपने भाई-बहनों को चाटूंगा और कभी-कभी काटूंगा भी। हाल फिलहाल आप सभी को मेरी प्यार भरी भौं-भौं..
आपका बफादार
ईशू

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