यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
Search This Blog
Friday, February 4, 2011
मैं डाबरमैन से मैन बन गया हूं
जयलोकमंगल पर मैंने पोस्ट एक लिखी और भूचाल आ गया। अभिषेक मानवजी ने मुझे अपना दत्तक पुत्र मानकर मुझे डाबरमैन से मैन बना दिया। पंडित सुरेश नीरव ने मुझे जयलोकमंगल का सदस्य ही बना दिया। और सिद्ध कर दिया कि जैसे आदमियों में कुछ कुत्ते होते हैं वैसे ही कुत्तों में भी कुछ आदमी होते हैं जिन्हें मानव ही पहचान पाते हैं। मेरे को मानवजी ने प्यार दिया तो आजादी के मतवाले जगदीश परमार की भी बांछें खिल गईं। मैं समय-समय पर जयलोकमंगल के अपने भाई-बहनों को चाटूंगा और कभी-कभी काटूंगा भी। हाल फिलहाल आप सभी को मेरी प्यार भरी भौं-भौं..
आपका बफादार
ईशू
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment