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Tuesday, February 1, 2011

शब्दों के जादूगर हैं नीरवजी


पंडित सुरेश नीरव ने मुझे जयलोकमंगल का सदस्य बनाकर जिंदा कर दिया है। मैं सोनजुही उतरी अपने गीत संग्रह से गीत लिखता रहूंगा इस तरह मेरा मन है। बाकी प्रभु की इच्छा। ब्लॉग देख रहा हूं। बहुत अच्छा लग रहा है। काफी लोग लिख रहे हैं। मंजुऋषि की रचनाएं और अरविंद पथिक की रचना ने मन को मोहा। हंसजी की भाषा बहुत ही पवित्र ओर मासूम है। डॉक्टर मधु को पुरस्कार के लिए बधाई। मभिषेक मानव का लोकतंत्र में राम लेख बहुत अच्छा लगा। नीरवजी का संस्मरण बहुत ही रोचक लगा। वो तो शब्दों के जादूगर हैं। चाहे गद्य लिखें या पद्य उनकी लेखनी कमाल करती है। मेरे आशीर्वाद उनके साथ हैं।
जगदीश परमार

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