यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Tuesday, February 1, 2011
सबको मेरा प्रणाम
आदरणीय नीरव जी ने मेरे व्यंग को सार्थक बना दिया । उन्होंने मेरे व्यंग को पढ़ा ये मेरी सार्थकता है ।मंजुह्रिशी जी ने पहली बार मेरा नाम अपने अधरों पर लिया इसलिए उन्हें प्रणाम करता हूँ .बादबाकी सभी दोस्तों को प्रणाम करता हूँ आपका अभिषेक मानव
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