Search This Blog

Thursday, March 3, 2011

पर्वतों के साए में शाम का बसेरा है


किस सोच में डूबे हो तुम किस बात का है ग़म
व्हिस्की नहीं मिलती तो क्या मिल जाएगी तुझे रम
चलो धर्मशाला॥चलो धर्मशाला
जहां इशु ने खोली है मधुशाला

No comments: