होरी है रे होरी है
, प्रशांत कहें,सोरी है , होरी है रे होरी है ,
नीरव से क्यों मुख मोरी है नवरंगरस में तू बोरी है
ब्रज की तू छोरी है, परमार संग किशोरी है।
होरी है रे होरी है। मकबूल कहें,
सहज डारूं, पिचकारी भरी थोरी है
रंग दूं वासंती चोली अभी तो कोरी है।
भगवानसिंह हंस
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