मची बिरज में होली...
ये होली है जयलोकमंगल की
जहां मनाई है इस बात की कि भौंडापन न आए त्योहार में और होली का त्योहार बदल न जाए इमोशनल अत्याचार में। पतझड़ आ न जाए बहार में..यह होली की नसीहत दे रही हैं मंजुऋषि और प्रेमलता नीलम.जिसे सुनकर पंडितजी ने डालदी पिचकारियां वापस बाल्टी में...सुना कुछ आपने
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