

मैं कई दिनों से जयलोकमंगल को देख-परख रहा हूं। एक बात जो सामने आई है वो ये कि पंडित सुरेश नीरव को उनके अंदाज़ में सराहनेवाले सज्जन प्रशांत योगी ही है। जो उनके व्यक्तित्व को तो सराहते हैं हीं,उनके कृतित्व को भी काव्यात्मक बना देते हैं। टेक्नेकली आप कोई बहुत मजबूत आदमी जान पड़ते हैं। जान क्या पड़ते हैं। आप हैं हीं। आपको मेरे सलाम..
जगदीश परमार,ग्वालियर
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