ये न पूछिए जनाव , कि दिल-ए-प्यार होता है.
ताबूत में जो हमसफर शव-ए- खार होता है.
दिल की बात दिल से कही,क्या दिल को मिली कभी.
शब्द के पार मौन कि रवे गुलजार होता है.
कहते सुना है-पत्थर है तू, जो बड़ा कठोर है.
अहल्या का वो आलय, पदे-ए- सार होता है.
जेल में बंद था वो तेरे आने से पहले,
तू आया, खुलीं बेडी, खुला-ए- द्वार होता है.
बहुत बड़ी बात कही क्योंकि वह बड़ा आदमी है,
पूछता हूँ जनाव क्या शब्द-ए- भार होता है.
कहते हैं लोग जहाँ, उसका दिल तो दरिया है,
अनहद को हद बना कि परखे-ए-जार होता है.
दिल की गहराई जो माप सका नहीं है कोई,
बस तकदीर में जो बदा हि साकार होता है.
भगवान सिंह हंस
९०१३४५६९४९
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