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Tuesday, March 15, 2011

हंसजी बहुत अच्छी होली लिखी



श्री भगवानसिंह हंसजी,आपकी होली की रचना बहुत अच्छी लगी। पूरी मस्ती है होली की। श्री प्रशांत योगीजी ने पर्यावरण को लेकर जो पंडित सुरेश नीरव की पंक्तियां उद्धृत की हैं,वह बहुत सामयिक और मार्मिक हैं। श्री तिवारीजी के अलेख से जानकारी मिली कि आज भी हमारे देश के वैज्ञानिक उपेक्षित ही हैं। पंडित सुरेश नीरव ने जानकारी काफी समीक्षात्मक दी है।

बैयां मेरी दोउ पकड लीनी,

मुखड़ा पै अबीर रगड़ दीनी,

और रगडी कालौंछ कारी ,

गालन की आब बिगारी रे।

आई रे होली आई रे । ।

सिर पै डारी बाल्टी भरकै,

आगे पीछे से तर करकै,

और लिपटके थपकी मारी

नीचे से टपकी सारी रे ।

आई रे होली आई रे ।

बैयां मेरी दोउ पकड लीनी,

मुखड़ा पै अबीर रगड़ दीनी,

और रगडी कालौंछ कारी ,

गालन की आब बिगारी रे।

आई रे होली आई रे । ।

सिर पै डारी बाल्टी भरकै,

आगे पीछे से तर करकै,

और लिपटके थपकी मारी

नीचे से टपकी सारी रे ।

आई रे होली आई रे ।जगदीश परमार

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