तेरी रंगीन दुनियाँ के नज़ारे हम को ले डूबे |
बुलाते से बहारों के इशारे हम को ले डूबे ||
शिकायत या करे शिकवा , भला किस दर पै जा कर के |
जिन्हें समझे थे हम अपना , हमारे हम को ले डूबे ||
बामुश्किल ज़ोरे -तूफां से, बचा लाए सफीने को |
नज़र आने लगी मन्जिल, किनारे हमको ले डूबे ||
सुना है एक तिनके के, सहारे पा गए साहिल |
कोई कह पाए ना तेरे , सहारे हम को ले डूबे....।.
-प्रवीण आर्य बुलाते से बहारों के इशारे हम को ले डूबे ||
शिकायत या करे शिकवा , भला किस दर पै जा कर के |
जिन्हें समझे थे हम अपना , हमारे हम को ले डूबे ||
बामुश्किल ज़ोरे -तूफां से, बचा लाए सफीने को |
नज़र आने लगी मन्जिल, किनारे हमको ले डूबे ||
सुना है एक तिनके के, सहारे पा गए साहिल |
कोई कह पाए ना तेरे , सहारे हम को ले डूबे....।.
2 comments:
बामुश्किल ज़ोरे -तूफां से, बचा लाए सफीने को |
नज़र आने लगी मन्जिल, किनारे हमको ले डूबे || bahut sunder . badhai.
Rajendra Gattani , Bhopal.
बामुश्किल ज़ोरे -तूफां से, बचा लाए सफीने को |
नज़र आने लगी मन्जिल, किनारे हमको ले डूबे || bahut sunder . badhai.
Rajendra Gattani , Bhopal.
Post a Comment