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Thursday, March 3, 2011

सुना है एक तिनके के, सहारे पा गए साहिल

तेरी रंगीन दुनियाँ के नज़ारे हम को ले डूबे |

बुलाते से बहारों के इशारे हम को ले डूबे ||



शिकायत या करे शिकवा , भला किस दर पै जा कर के |


जिन्हें समझे थे हम अपना , हमारे हम को ले डूबे ||



बामुश्किल ज़ोरे -तूफां से, बचा लाए सफीने को |


नज़र आने लगी मन्जिल, किनारे हमको ले डूबे ||



सुना है एक तिनके के, सहारे पा गए साहिल |


कोई कह पाए ना तेरे , सहारे हम को ले डूबे....।.
-प्रवीण आर्य

2 comments:

rajendra gattani said...

बामुश्किल ज़ोरे -तूफां से, बचा लाए सफीने को |

नज़र आने लगी मन्जिल, किनारे हमको ले डूबे || bahut sunder . badhai.

Rajendra Gattani , Bhopal.

rajendra gattani said...

बामुश्किल ज़ोरे -तूफां से, बचा लाए सफीने को |

नज़र आने लगी मन्जिल, किनारे हमको ले डूबे || bahut sunder . badhai.

Rajendra Gattani , Bhopal.