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Tuesday, March 1, 2011

हमारी भानवाओं को प्लीज अन्यथा न लें।


मंजुश्रषिजी
आपके शुभ दर्शन ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद नसीब हुए हैं। आप बीच-बीच में मंजुजी कहां चली जाती हैं। अगर कोई बहुत बड़ी मजबूरी हो तो भी हम उम्मीद करते हैं कि आप ब्लाग पर सूचना जरूर दिया करें। कि आप इतने दिन ब्लाग पर नहीं आसकेंगी। हमारी भानवाओं को प्लीज अन्यथा न लें। आपकी रचना बहुत अच्छी लगी। आपको बधाई॥
छत की मेरी मंडेर करे आज ठिठोली है
बहुत दिनों के बाद चिरैया बोली है
ओमप्रकाश

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