

आदरणीय नीरवजी,
जयलोकमंगल में इन दिनों बहुत बढ़िया-बढ़िया लोग लिख रहे हैं। और खूब स्तरीय लिख रहे हैं। पूनम दहिया,नित्यानंद तुषार, सुजाता मिश्र,अरविंद योगी, सुरेश ठाकुर.पंकज अंगार,रवीन्द्र शुक्ल और भी न जाने कितने लोग हैं,जो ब्लॉग की शान-शौकत बढ़ा रहे हैं। कुछ लोग एक दम गायब भी हो गए हैं। ये बदलाव कैसा है। कहां गए वे लोग जो हंस और मकबूल हुआ करते थे। मधु चतुर्वेदी, मंजु ऋषि,अरविंद पथिक औररजनीकांत राजू। मैं चाहती हूं कि ये लोग भी लिखें। इन्हें पढ़ना भी अच्छा लगता है।
नए संवतसर की शुभकामनाएं..
डॉक्टर प्रेमलता नीलम
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