यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Saturday, April 16, 2011
सावन में चिट्ठियाँ
मित्रो, आज भाई प्रकाश मिश्र से आप लोगों का परिचय कराता हूँ। प्रकाश स्व० आनंद मिश्र के छोटे भाई हैं और बेहद प्रतिभावान कवि हैं। आज उन की एक ग़ज़ल पेश है। जब दिल के दर्द गाए हैं सावन में चिट्ठियाँ रोती सी नज़र आए हैं सावन में चिट्ठियाँ। बहनों की तरह हाथ में बांधे हैं राखियाँ झूलों पे गुनगुनाए हैं सावन में चिट्ठियाँ। कांटे कहाँ हैं, फूल कहाँ, खुशबूएं कहाँ माँ की तरह बताए हैं सावन में चिट्ठियाँ। शाखें लहू-लुहान, दरख्तों के सिर कटे क्या-क्या ख़बर सुनाए हैं सावन में चिट्ठियाँ। सीने पे गोली खाई है बेटे ने जंग में पढ़ कर के सिर उठाए हैं सावन में चिट्ठियाँ। मृगेन्द्र मक़बूल
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