Search This Blog

Thursday, April 28, 2011

पड़ोसन के सहन में डोलना अच्छा नहीं होता

पड़ोसन के सहन में डोलना अच्छा नहीं होता
पराए घर की खिड़की खोलना अच्छा नहीं होता।

ये बस्ती रहनुमाओं की है, इस बस्ती में चुप रहिये
यहाँ पर आदतन, सच बोलना अच्छा नहीं होता।

यहाँ अमजद अली, जसराज दोनों साथ गाते हैं
जहां अमृत,वहां विष घोलना अच्छा नहीं होता।

यहाँ हर मोड़ पर बैठे हैं, हत्यारे हक़ीकत के
यहाँ दुश्मन को कमतर तोलना, अच्छा नहीं होता।

ये आंसू तो अमानत हैं, किसी दिल के खजाने की
इन्हें बेकार यूँ ही ढोलना, अच्छा नहीं होता।
प्रकाश मिश्र
प्रस्तुति- मृगेन्द्र मकबूल

No comments: