अरविंद पथिक और मधु चतुर्वेदी की आज ब्लॉग पर पोस्ट पढ़कर जानकारी मिली कि मृणाल पांडे ने विष्णुभट्ट गोडसे की पुस्तक का अनुवाद किया है,वो भी हिंदी में। गोडसे ने यह पुस्तक मराछी में लिखी थी। क्या मृणाल मराठी भाषा जानती हैं। या फिर उन्होंने बहुत पहले अमृतलाल नागरजी के द्वारा किये गए अनुवाद का ही प्रति अनुवाद कर दिया है। अगर ऐसा किया है तो भी कम-से-कम उन्हें नागरजी का उल्लेख अवश्य करना चाहिए था। पथिकजी ने पाठकों का ध्यान इस तरफ खींचकर बहुत अच्छा काम किया है। बधाई..
-मुकेश परमार
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