भक्त शिरोमणि महात्मा भरत अपने आराध्यदेव श्रीराम की खडाऊंओं को अपने माथे से लगाते हुए.
भरत का सम्पूर्ण जीवन चरित्र श्री भगवान सिंह हंस रचित बृहद भरत चरित्र महाकाव्य में पढ़िए
जिसमें हंसजी ने उनके चरित्र का विस्तृत उल्लेख किया है. यह टीका सहित पुस्तक ७३६ पेज की है
जो प्रकाशाधीन है. यह बिना टीक के अभी भी उपलब्ध है.
जिसमें हंसजी ने उनके चरित्र का विस्तृत उल्लेख किया है. यह टीका सहित पुस्तक ७३६ पेज की है
जो प्रकाशाधीन है. यह बिना टीक के अभी भी उपलब्ध है.
योगेश विकास
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