Search This Blog

Sunday, April 24, 2011



नीरव जी‌
ज्वलंत विषय को उठाने के लिये आपका स्वागत।
नारी के शोषण की बात करने से विषय 'जैन्डर मुद्दा' बनकर रहा जाता है जब कि यह उससे अधिक विशाल क्षेत्र में लागू होता है।
यह विषय असभ्य शक्तिशाली द्वारा दुर्बल के शोषण का विषय है। यदि महिला भी शक्तिशाली है और् सुसंस्कृत नहीं है तब वह भी पुरुष का शोषण कर सकती है।
अत: मानवीय संस्कृति के प्रसार की आवश्यकता है, बजाय नारी - पुरुष या मजदूर - मालिक या बच्चे - माता पिता आदि आदि मुद्दों को लेकर अलग अलग लड़ने की, जिनसे बात सुधरती‌नहीं‌वरन बिगड़ती है।

साथ ही यह भी सही है भारत में यदि नारी को सम्मान नहीं मिला है तब भारत में‌ही उऩ्हें बहुत सम्मान भी‌मिला है। 'यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमन्ते तत्र देवता' भी केवल भारत में माना गया है। वीर जोन आफ़ आर्क को एक युद्ध जीतने के बाद भी उसी के लोगों ने फ़्रान्स में जीवित जलाया था और भारत में झांसी की रानी और दुर्गावती आदि पूजित हैं।
हमें पश्चिम के कुप्रचार से बचने की‌बहुत आवश्यकता है।

सच्चे अर्थों में सभ्य या सुसंस्कृत व्यक्ति अपनी शक्ति का शोषन के लिये दुरुपयोग नहीं करेगा। पृथ्वीराज ने गोरी को क्षमा कर दिया था किन्तु गोरी ने पृथ्वीराज को क्षमा नहीं किया, वरन , , , , , ,

धन्यवाद

No comments: