पं सुरेश नीरव की रचनाएं ही उनकी जीवनी है! ..........उनके एक नूतन गीत का लोकार्पण !......शब्द जब दैवीय हों तो अपने क़द के
अनुसार ही माध्यम भी तलाश कर लेते हैं , और शब्द ऋषी श्री नीरव जी के साथ आत्म-सात हो गर्व महसूस करते हैं !श्रृंगार रस में डूबी एक रचना जो सुनाई भी देती है और दिखाई भी ! .................प्रशांत योगी
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