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Sunday, April 10, 2011

बृहद भरत चरित्र महाकाव्य के कुछ प्रसंग आपके सतानंद हेतु---

भांजे भरत को युद्ध हेतु बुलाना--

बहु चिंतित युधाजित नरेशा. सिन्धु तट एक गन्धर्व देशा.
त्रिकोटी     शैलूष      संताना.    कुशल     योद्धा वीरहि  महाना.

युधाजित नरेश बहुत चिंतित है. सिन्धु तट पर एक गन्धर्व देश है. तीन करोड़ शैलूष संतान हैं. वे कुशल योद्धा और बड़े महान वीर हैं.

केकय पर हो छुट पुट वारा. युद्धाजित करे सोच विचारा.
पुरोहित गार्ग्य भी बुलवाया. अश्वपति पुत्र बहु समझाया.

वे केकय पर छुट-पुट आक्रमण करते रहते हैं. राजा युद्धाजित बहुत सोच-विचार करते हैं. उन्होंने अपने पुरोहित गार्ग्य को भी बुलवा लिया. पिता अश्वपति ने पुत्र युद्धाजित को बहुत समझाया.

परेशान अति केकय राजा. देख देख बहु आवे लाजा.
दिव्य भाव आया एक वारा. अंगिरा पुत्र तुरत पुकारा.

केकय नरेश अति परेशान है. देख-देख कर बहुत लज्जा आती है. एक उनके मन में एक दिव्य विचार आता है. उन्होंने अंगिरा के पुत्र गार्ग्य (पुरोहित ) को तुरंत बुलवाया.

अब मुझे कुछ नहीं हो लाजा. बल विक्रम मम भांजे राजा.
महर्षि! तुम अयोध्या जाओ. भेंट सामग्री बहु ले जाओ.

अब मुझे कोई लज्जा नहीं है. मेरे भान्जेराजा बल-विक्रम वाले हैं. उन्होंने अपने पुरोहित महर्षि गार्ग्य को को कहा कि तुम अयोध्या जाओ. और भेंट सामग्री साथ ले जाओ.

श्रीराम हैं अयोध्या के राजा. सविनय उन बताना स्वकाजा.
प्रथम पूछ कुशल समाचारा. तब रखि अपना सहज विचारा.

श्रीराम अयोध्या के राजा हैं. सविनय उनको अपना कार्य बताओ. पहले उनसे कुशल समाचार पूछना. तब अपना विचार सहज उनके सामने रखना.

युधाजित दे दिव्य उपहारा. गज ऊँट व अश्व दस हजारा.
मनोहर आभूषण सुदाना. विचित्र वस्त्र रत्न बहु नाना.

राजा युधाजित ने राम के लिए मुनि गार्ग्य को बहुत-से दिव्य उपहार दिए हाथी, ऊँट और अश्व दस हजार राम कि भेंट हेतु गार्ग्य को दिए. और मनोहर आभूषण, विचित्र वस्त्र और बहुत से रत्न भी राम की भेंट हेतु दिए.

कालिन कम्बल शाल दुशाला. मिष्ठान फल फूल बहु दाला.
परम दिव्य बहु प्रमोद हारा. लेकर गार्ग्य सु अवध निहारा.

कालीन, कम्बल, शाल, दुशाला, मिष्ठान, फल-फूल और बहुत-सी दालें भी राम हेतु मुनि गार्ग्य को दीं. मुनि गार्ग्य परम दिव्य और अति सुन्दर हार लेकर गए और   चलते-चलते  उनको सुन्दर अयोध्या दिखाई दी.
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प्रणेता महाकाव्य













प्रस्तुति --योगेश

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