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Wednesday, April 20, 2011


Nityanand Tushar 20 अप्रैल 09:30
मुक़ददर आज़माना चाहते हैं
तुम्हें अपना बनाना चाहते हैं

तुन्हारे वास्ते क्या सोचते हैं
निगाहों से बताना चाहते हैं

ग़लत क्या है जो हम दिल माँग बैठे
परिन्दे भी ठिकाना चाहते हैं

परिस्थितियाँ ही अक्सर रोकतीं हैं
मुहब्बत सब निभाना चाहते हैं

बहुत दिन से इन आँखों में हैं आँसू
`तुषार` अब मुस्कुराना चाहते हैं।
नित्यानंद `तुषार`
सच कहता तो सबको हारूं
झूठ कहूं तो मन धिक्कारे
चुप रहता तो खुद मर जाऊ
सच और झूठ के बीच गर
हंस दूं तो ये दुनिया मारे
मन कहता की सो जाऊ
दिल कहता की सबको जगाऊ
पर जीवन कहता की
कर्ज है मुझ पर
कुछ फर्ज है मुझ पर
भारत में जन्मा हूँ
बस यही गर्व है खुद पर
अब जीना मरना
सोना जगना हसना रोना
ये भारत मै तुझपर वारु
जय भारत जय भारतीय।
अरविन्द योगी
जाने मन तलाशता है क्या
जाने मन तलाशता है क्या
इस तलाश से वास्ता है क्या
तलाश तेरी दास्ताँ है क्या
जिंदगी से तलाश का वास्ता है क्या
कभी मातम कभी गिले
और कभी खुद से भी शिकवे
आँखों की अंजुमन में आंसू अक्सर मिले
ना तुम मिले ना हम मिले
जाने है कितने गिले
फिर भी रब करे
हम फिर मिले हम फिर मिले

अरविन्द योगी

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