यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Tuesday, May 3, 2011
कोई घात हो रही होगी
पालागन जनाव मकबूलजी . काफी अरसे के बाद आपकी गजल पढ़ने को ब्लॉग पर मिली, बेहद ख़ुशी हुई. कितनी बेहतरीन गजल है, पढ़कर मज़ा आ गया. आपकी गजल का निम्न शेर बहुत पसंद आया-
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