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Tuesday, May 24, 2011

"ये जो शब्दों की दौलत है
सब आपकी बदौलत है....
शब्द सिक्कों से खनकते कम नहीं होते
शब्द गर होते नहीं तो हम नहीं होते ,,
शब्द की उत्पत्ति से ही स्रष्टि का होता उदय
शब्द हैं तो ताल है, ताल है स्वर और लय l
हम तो महज़ शब्दों के गुलदस्ते हैं
आपको हँसाते हैं इसीलिए हँसते हैं ll"

रचनाकार - पं. प्रेम किशोर पटाखा

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