हाले- ग़म उनको सुनाते जाइए
शर्त ये है मुस्कराते जाइए।
आपको जाते न देखा जाएगा
इन चरागों को बुझाते जाइए।
शुक्रिया लुत्फ़े- मुसलसल का मगर
गाहे गाहे दिल दुखाते जाइए।
दुश्मनों से प्यार होता जाएगा
दोस्तों को आज़माते जाइए।
रौशनी महदूद हो जिनकी ख़ुमार
उन चरागों को बुझाते जाइए।
ख़ुमार बाराबंकवी
प्रस्तुति- मृगेन्द्र मक़बूल
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