पहली बार तुम तब जिये थे
जबकि तुम घोषित अघोषित वर्जनाओ से भिडे थे
जब सुरक्षा और असुरक्षा के बीच तुमने
असुरक्षा चुनी थी
जब तुमने सूरज को आन्ख दिखाई थी
तेज़ धूप मे जब तुम छत पर दौडे थे
और पसीने की खुश्बू को चक्खा था
जब तुमने बारिश मे छाता फ़ेन्का था
जब तुमने बादल मे शक्ले खोजी थी
तुम्हारी ज़िन्दगी का सबसे ज़िन्दा क्षण तब आया था
जब तुमने सारी मर्यादाये लान्घी थी
जब तुमने परम्पराओ को अन्गूठा दिखाया था
.........श्रीकान्त
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