पंडित सुरेश
नीरव
मध्यप्रदेश ग्वालियर
में जन्मे बहुमुखी रचनाकार पंडित सुरेश नीरव की गीत-गजल,हास्य-व्यंग्य और मुक्त
छंद विभिन्न विधाओं में सोलह पुस्तकें प्रकाशित हैं। अंग्रेजी,फ्रेंच,उर्दू में
अनूदित इस कवि ने छब्बीस से अधिक देशों में हिंदी कविता का प्रतिनिधित्व किया है।
हिंदुस्तान टाइम्स प्रकाशन समूह की मासिक पत्रिका कादम्बिनी के संपादन मंडल से तीस
वर्षों तक संबद्ध और सात टीवी सीरियल लिखनेवाले सृजनकार को भारत के दो
राष्ट्रपतियों और नेपाल की धर्म संसद के अलावा इजिप्त दूतावास में सम्मानित किया
जा चुका है। भारत के प्रधानमंत्री द्वारा आपको मीडिया इंटरनेशनल एवार्ड से भी
नवाजा गया है। आजकल आप देश की अग्रणी साहित्यिक संस्था अखिल भारतीय भाषा साहित्य
सम्मेलन के राष्ट्रीय महासचिव हैं।
गुस्सा
गधे को आ गया
कौन है जो फस्ल सारी
इस चमन की खा गया
बात उल्लू ने कही
गुस्सा गधे को आ गया
प्यार कहते हैं किसे
है कौन से जादू का नाम
आंख करती है इशारे
दिल का हो जाता है काम
बारहवें बच्चे से
अपनी तेरहवीं करवा गया
बात उल्लू ने कही
गुस्सा गधे को आ गया
वो सुखी हैं सेंकते जो रोटियों को लाश पर
अब तो हैं जंगल के
सारे जानवर उपवास पर
क्योंकि एक मंत्री
यहां पशुओं का चारा खा गया
बात उल्लू ने कही
गुस्सा गधे को आ गया
जबसे बस्ती में
हमारे एक थाना है खुला
घूमता हर जेबकतरा
दूध का होकर धुला
चोर थानेदार को आईना
दिखला गया
बात उल्लू ने कही
गुस्सा गधे को आ गया
गुस्ल करवाने को
कांधे पर लिए जाते हैं लोग
ऐसे बूढ़े शेख को भी
पांचवी शादी का योग
जाते-जाते एक अंधा
मौलवी बतला गया
बात उल्लू ने कही
गुस्सा गधे को आ गया
कह उठा खरगोश से
कछुआ कि थोड़ा तेज़ भाग
जिन्न आरक्षण का
टपका जिस घड़ी लेकर चिराग
शील्ड कछुए को मिली
खरगोश चक्कर खा गया
बात उल्लू ने कही
गुस्सा गधे को आ गया
चांद पूनम का मुझे
कल घर के पिछवाड़े मिला
मन के गुलदस्ते में
मेरे फूल गूलर का खिला
ख्वाब टूटा जिस घड़ी
दिन में अंधेरा छा गया
बात उल्लू ने कही
गुस्सा गधे को आ गया
कौन है जो फस्ल सारी
इस चमन की खा गया
बात उल्लू ने कही
गुस्सा गधे को आ गया।
पंडित सुरेश नीरव
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