हास्य-ग़ज़ल
खीर
के पास
मक्खी ऐसे भिनक
रही हैं पकी पकायी खीर के पास
जैसे हों आतंकी
जत्थे सीमा पर कश्मीर के पास
भागा भैंसा संग
भैंस के चर के सब फोकट की घास
सुबक रहे हैं ताऊ
बैठे खूंटे और जंजीर के पास
भागी उसके साथ
हसीना जिस खूंसट की उम्र थी साठ
घर दीमक ने खूब
बनाया घुने हुए शहतीर के पास
काले बुरके से
झांकेगा एक गुलाबी लॉलीपॉप
बैठा चुइंगगम चबा
रहा हूं मैं उसकी तस्वीर के पास
नयी शायरा के
शेरों से बूढ़े शायर छेड़ करें
रोते-रोते पहुंची
ग़ज़लें नब्ज दिखाने मीर के पास
नीरव की तकदीर से
कुछ कुदरत ने ऐसा किया मज़ाक
दारू का ठेका
खुलवाया पुरखों की जागीर के पास।
पंडित सुरेश नीरव
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