मित्रो नीरव जी के आदेश और ऋचा बनर्जी के आग्रह पर आज आकाशवाणी द्वारा आयोजित कविसम्मेलन में भाग लेने का सौभाग्य मुझे भी मिल गया.इस कविसम्मेलन में नीरवजी के नेतृत्व में जिन कवियों ने कविता के विविध रंग बिखेरे उनमे .सन्डे इंडियन के प्रबंध संपादक ओंकारेश्वर पाण्डे,रेशमी अहसास के गीतों की मलिका अंजू जैन ,व्यंग्य के विशिस्ट तेवर लिए राष्ट्रीय अभिलेखगार के प्रदर्शनी अनुभाग के निदेशक राजमणि ,आकाशवाणी के दिल्ली केंद्र के निदेशक लक्ष्मीशंकर वाजपई,समेत कुल १० कवियों ने काव्यपाठ किया .नीरवजी की टीम का सचिन तेंदुलकर होने के नाते हमेशा की तरह ओपनिंग कर एक ठोस शुरुआत देने की अपनी ज़िम्मेदारी को मुझे लगता है , ठीक से निभा दिया.अपने काव्यपाठ मे से एक मुक्तक आपको भी सौप रहा हूँ ------------
अनुभूतियों के अक्ष पर होकर खड़े लिखता हूँ गीत
हाँ !समय के वक्ष पर होकर खड़े लिखता हूँ ,गीत
चुटुकुलों के मानकों से मापने की जुर्रत न कर -----
मै वेदना के कक्ष में होकर खड़े लिखता हूँ गीत
ओंकारेश्वर पाण्डेय ,राजमणि ,अंजू जैन जहाँ शानदार रहे वहीं पंडित सुरेश नीरव का सञ्चालन एवं काव्यपाठ के लिए केवल एक शब्द है अद्भुत .आज के चुटुकुले बाज़ी वाले दौर में जब युसुफ भारद्वाज सरीखे अनेक चोर और घटिया तथाकथित कवि सरकारी खर्चे पर विदेश यात्रायें कर रहे हों तब केवल एक नाम पंडित सुरेश नीरव
भ्रष्टाचार के अन्धमहा सागर में कविता की कंदील जलाये गीत और ग़ज़ल की रौशनी बिखेर रहा है.
आपको मेरा प्रणाम है.
लगभग तीन घंटे चले इस कार्यक्रम से दिल्ली केंद्र के निदेशक लक्ष्मीशंकर वाजपे
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