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Thursday, September 22, 2011

आनंद से आनंद तक

डॉ.अरविंद चतुर्वेदीजी,
पालागन..
बहुत शानदार कविता रही आपकी।
पेट्रोल की बढ़ती कीमत के दर्द को
आपने हास्य में बढ़ी कुशलता से बांधा है।
 साफ-सुथरी कविता के लिए
बधाई.
पंडित सुरेश नीरव
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प्रकाश प्रलयजी,
शब्दिकाएं बहुत आनंद दे रही हैं।
आपकी शब्दिकाओं के  लिए यही कहना होगा कि
- देखन में छोटे लगें घाव करें गंभीर।
बहुत आनंद और मीठी चुभन है
आपकी कविताओं में।
मेरे प्रणाम..
पंडित सुरेश नीरव

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