मकबूलजी
सादर पालागन..
आपने अपने कंप्यूटर ठीक होने का सबूत ग़ज़ल के मुताल्लिक अपना बयान दर्ज करा के कुशलतापूर्वक दे दिया है। कुछ भी सही गजल है बहुत धांसू। आपने लोकमंगल के साथियों तक उसे पहुंचाकर बहुत अच्छा काम किया है।इसके लिए आप धन्यवाद के बर्तन(पात्र) हैं
पंडित सुरेश नीरव
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