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Thursday, October 27, 2011

आजादी की मशाल


एक दिया शहीदों के नाम भी
एक अच्छा शासक प्रजा को त्योहारों पर ऐसे तोहफे देता है जिसे पाकर जनता कम-से-कम एक दिन तो अपने गम भूलकर उत्सवधर्मी मानसिकता में आ जाती है। हमारी सरकार ने मंहगाई की आग में झुलसती जनता को त्योहार के मौके पर लोन मंहगे करके अपनी संवेदनशीलता का एक और अनुपम उदाहरण दिया है। फिर भी जनता का हौंसला है कि वह भ्रष्टाचार के इस अंधेरे में भी उम्मीद के दिए बालने का दमखम रखती है। आइए आज हम उन्हें भी याद करें जिन्होंने इस देश की आजादी की मशाल को अपने खून से रोशन किया था। दीवाली मुबारक हो..
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मकबूलजी,
पालागन..
नरेश कुमार शाद की बेहतरीन ग़ज़ल पढ़कर मजा आ गया।आप ऐसी ही गजले पढ़वाते रहें।आपकी मेहरबानी होगी।
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