आदरणीय श्री नीरवजी का बहुत ही सारस्वत एवं अच्छा विचार है, ऐसे सारस्वत विचार आगे भी लिखते रहे ,
पंडितजी के शब्दों में--
इक प्याली चाय-जैसी है ज़िंदगी
ज़िंदगी जीना अच्छी चाय बनाने की तरह है। लीजिए जिंदगी के जायके का बेहतरीन लुत्फ।
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हमें भी जिंदगी में यदि कुछ करना है तो अपने अहम को घटाकर छोटों से मिलकर जीना चाहिए। तभी हमें कामयाबी मिल सकती है।
ऐसे विचार आगे भी लिखते रहिए, आग्रह | मेरे सादर नमन |
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