टीवी की भाषा पुस्तक के लोकार्पण के अवसर पर:(दायें से बाएं): डॉ. रवि मालिक,संयुक्त पुलिस आयुक्त तजिंदर लूथरा, संदीप मारवाह, डॉ. नामवर सिंह, हरीश बरनवाल, डॉ. रंजन जैदी तथा अशोक महेश्वरी. |
नोएडा (एनसीआर):स्थानीय मारवाह स्टूडियो में चल रहे इंटरनेश्नल फिल्म एंड टेलेविज़न क्लब, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार तथा फिल्म फेडरेशन ऑफ़ इंडिया द्वारा आयोजित ग्लोबल फिल्म फैस्टिवल-2011
में तीसरे और अंतिम दिन कई साहित्यकार एवं फ़िल्मी हस्तियाँ उपस्थित हुए.
इस अवसर पर पत्रिकारिता में एनीमेशन एवं चित्रांकन का उद्घाटन करते हुए
हिंदी साहित्य के प्रख्यात आलोचक साहित्यकार डॉ. नामवर सिंह ने कहा कि पत्रिकारिता में चित्र बहुत कुछ बोल जाते हैं. समारोह के अंतिम दिन श्री नामवर सिंह की अध्यक्षता में हिंदी के युवा लेखक श्री हरीश चन्द्र बर्णवाल की सद्द्यः प्रकाशित पुस्तक टीवी की भाषा
के लोकार्पण के अवसर पर स्वनामधन्य डाक्टर नामवर सिंह ने कहा कि इस
भव्य सभागार में प्रस्तुत पुस्तक का लोकार्पण का अर्थ यह है कि इसे बड़े
स्तर पर प्रचार-प्रसार का अवसर मिलेगा. यह प्रकाशक और लेखक दोनों के लिए
ख़ुशी की बात है किन्तु अपने गुरू डॉ. हजारी प्रसाद द्वेदी की कही हुई बातें जो उन्होंने किसी बांग्ला समारोह में सुनी थीं, कहा कि इतना अच्छा भी, अच्छा नहीं होता. कारण
कि शुरू-शुरू में ही कमियों के प्रति ध्यान न दिलाकर सिर्फ प्रशंसा की
जाये तो लेखक के लिए अच्छी बात नहीं है. अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए श्री
नामवर सिंह ने कहा कि बर्णवाल ने काफी मेह्नत के बाद यह पुस्तक लिखी है, पर
इसका नाम टीवी की भाषा की बजाय टीवी में भाषा
होना
चाहिए.
(दायें से बाएं) डॉ. रंजन जैदी, डॉ. नामवर सिंह, संदीप मारवाह, तेजिंदर लूथरा तथा अशोक महेश्वरी |
प्रतिष्ठित कथाकार, पत्रकार और समाज कल्याण पत्रिका के संपादक डॉ रंजन जैदी
ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमलोगों के दौर की पीढ़ी
प्रायः अब समाप्त होती जा रही है जो शब्द के प्रति संवेदनशील रहती रही है.
उन्होंने कहा कि नए शब्द सामने आने पर हमलोग आज भी पूरा ध्यान देते है कि
अमुक शब्द की उत्पत्ति कहाँ से हुई और उसके विकास के सोपान कौन से रहे
होंगे. उन्होंने बोली और भाषा की उपमा नदी और नहर के रूप में देते हुए कहा कि बोली नदी की तरह खुद जन्म लेकर स्वतंत्र रूप से बहती है जबकि किसी भी भाषा को उसके व्याकरण के अनुशासन से बंधी नहर में
अनुशासित होकर बहना होता है. उन्होंने हरीश बर्णवाल की पुस्तक की प्रशंसा
करते हुए स्वीकार किया कि यह एक अच्छा प्रयास है और इसका स्वागत किया जाना
चाहिए.
दिल्ली पुलिस में संयुक्त आयुक्त व जाने-माने हिंदी के कवि तजिंदर सिंह लूथरा
ने डॉ. ग्रियर्सन का उदहारण देते हुए कहा कि हिंदी भारत की संपर्क भाषा है
जो पूरे हिंदुस्तान में बोली जाती
है. पुस्तक के युवा
लेखक हरीश बर्णवाल ने अपनी पुस्तक के बारे में कहा कि यह
पुस्तक एलक्ट्रानिक मीडिया के व्यावहारिक पक्ष को केन्द्रित कर लिखी गई
है. लोकार्पण कार्यक्रम में राजकमल प्रकाशन के अशोक महेश्वरी तथा टीवी डॉ. रवि मलिक
ने भी अपने विचार
रखे.
कार्यक्रम का सफल सञ्चालन मारवाह स्टूडियो के निदेशक श्री संदीप मारवाह ने किया.
प्रस्तुतिःडॉ.रंजन ज़ैदी
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