नव वर्ष की आहट
खटखटा रही है चौखट
चौखट पर खड़ा लोकपाल
दिख रहा है असंतुष्ट बेहाल
बीतने को है पुराना साल
फिर भी कुछ नहीं बेमिसाल
वही रोटी वही दाल
वही हड्डी वही खाल
वही चड्डी वही रुमाल
है कोई?जो पूछे हमारा हाल
बिगड़ रही है हमारी चाल
पास में कुछ नहीं बचा है माल
अब तो होने को है कंगाल
बुनना पड़ेगा कोई जाल
जो हमें कर दे मालामाल
वरना बेकार है बजाना गाल
कहिये कैसा है हमारा ख्याल
मुबारक हो आपको नया साल ||
रजनी कान्त शर्मा "राजू"
खटखटा रही है चौखट
चौखट पर खड़ा लोकपाल
दिख रहा है असंतुष्ट बेहाल
बीतने को है पुराना साल
फिर भी कुछ नहीं बेमिसाल
वही रोटी वही दाल
वही हड्डी वही खाल
वही चड्डी वही रुमाल
है कोई?जो पूछे हमारा हाल
बिगड़ रही है हमारी चाल
पास में कुछ नहीं बचा है माल
अब तो होने को है कंगाल
बुनना पड़ेगा कोई जाल
जो हमें कर दे मालामाल
वरना बेकार है बजाना गाल
कहिये कैसा है हमारा ख्याल
मुबारक हो आपको नया साल ||
रजनी कान्त शर्मा "राजू"
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