बधाई हो डॉक्टर कविता वाचकन्वी
एक ऐतिहासिक संकलन में आपकी रचनाएं भी एफ.आई.आर की तरह शामिल हुईं। मेरी बधाई स्वीकारें।
क्या आप जून में अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन के राष्ट्रीय अधिवेशन में शामिल हो सकेंगी। सम्मेलन दिल्ली में होगा। मैं बतौर राष्ट्रीय महा सचिव आपको उसमें आमंभित करना चाहूंगा।
इस संकलन में संकलित
कविताएं एफ.आई.आर. की तरह उपस्थित हैं। यह स्त्री आंदोलन ऐसा आंदोलन है
जिसने एक बूंद भी खून नहीं बहाया और चहुंमुखी विस्तारित हो रहा है।
स्त्रियों को अपने भीतर झांकने के लिए प्रेरित करती हैं ये कविताएं नए
मानदंड, नए प्रतिमान गढ़ती हैं ये कविताएं। उन्होंने कहा कि स्त्री चेतना
की बेल कैद की दीवारों के ऊपर चढ़ कर आजादी का अनुभव करने लगी हैं।
उन्होंने कहा कि यह बेल अब इस कदर ऊपर चढ़ गयी है कि हमें अब इनसे आनंद फल
पाने की उम्मीद बांधनी चाहिए।
-डॉ.अनामिका
No comments:
Post a Comment