सभी मित्रों को नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें.नव-वर्ष के मौके पर एक ग़ज़ल
पेश है।
हर तरफ चांदनी हो नए साल में
होठों पर रागिनी हो नए साल में।
हर दिशा खुशबुओं से महकती रहे
महके फिर रातरानी नए साल में।
इस वतन में हैं जितने भी चिकने घड़े
काश हों पानी-पानी नए साल में।
दर्दो- दहशत का नामोनिशां ना रहे
हो हवा जाफरानी नए साल में।
अब न मक़बूल फिर हो धमाका कोई
हो यही मेहरबानी नए साल में।
मृगेन्द्र मक़बूल
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