भरत चरित्र महाकाव्य से कुछ अंश आपके लिए-
चंद्रकांता में श्री भरत
भरत जस ज्ञान नहिं जन काहू. शिष्ट सहज सरल महाबाहू.
गन्धर्व देश जीत निहारा. प्रभु को दिया शुभ समाचारा.
श्री भरत का-सा संज्ञान किसी व्यक्ति में नहीं है. भरतजी सहज, सरल और महाबाहु हैं. उन्होंने गन्धर्वदेश जीतकर प्रभु श्रीराम को शुभ समाचार दिया .
राघवेन्द्र अन्तः उल्लासे. उत्सुक भरत लखन से भाषे.
ये अंगद और चन्द्रकेतू. वयस्क इन्हें दो राज्यसेतू.
सुनकर प्रभु श्रीराम अन्तः में बहुत उल्लसित हुए. और वे उत्सुक होकर भरत एवं लक्ष्मण से बोले , ये लक्ष्मण के पुत्र अंगद और चन्द्रकेतु हैं.अब ये वयस्क हैं. इन्हें भी राज्य दिया जाये.
बल पराक्रमी दोउ कुमारा. संभालेंगे स्वराज्य भारा.
इनका करूँ राज्याभिषेका.धनुर्धर वीर औ, बहु नेका.
दोनों कुमार बलवान और पराक्रमी हैं.वे अपने-अपने राज्य का भार लंभालेंगे. मैं इनका राज्य अभिषेक करता हूँ. ये दोनों बड़े ही धनुर्धर, वीर और नेक हैं.
सौम्य! ऐसा सु देश बताना.जहाँ न हो संताप निदाना.
हम भी न बने जन अपराधी. न हो वहाँ रोग और व्याधी.
प्रभु राम ने श्री भरत से कहा, हे सौम्य! ऐसा कोई सुन्दर देश बताओ जहाँ बाद में कोई दुःख न हो और हम भी जन-अपराधी न बनें. और वहाँ कोई रोग एवं व्याधि भी न हो.
ऐसा सुन रघुनाथ से, भाषे भरत विचार.
कारूपथ एक देश है, सुलभहि सभी प्रकार.
श्रीराम से ऐसा सुनकर भरतजी विचार करके बोले, हे प्रभु! कारूपथ एक सुन्दर देश है और वह सभी प्रकार से सुलभ है.
निर्भय रहिं तहिं राजकुमारा. आरोग्यवर्धक सब प्रकारा.
सुरक्षित सीम हैं चहुँ ओरा. संपन्न शांत न कहीं शोरा.
प्रभु! वहाँ दोनों राजकुमार निर्भय रहेंगे. वह देश सभी प्रकार से आरोग्यवर्धक है.उसकी सीमाएं चारों ओर से सुरक्षित हैं. और वह देश संपन्न, शांत और कहीं पर शोर भी नहीं है.
भरतहिं बात नाथ स्वीकारा. करो कारूपथ पर अधिकारा.
तहाँ दो सुन्दर नगर बसाओ.दोनों सुतों को नृप बनाओ.
राम ने भरतजी की बात स्वीकार कर की और कहा, कारूपथ पर अधिकार करो और वहाँ दो सुन्दर नगर बसाओ. तथा दोनों पुत्रों को उन नगरों का राजा बनाओ.
भरत ने बात अंगीकारा. कारूपथ पर कीन्ह अधिकारा.
अंगदीपा सुपुरी बसायी. सुंदर सुरक्षित चहुँ बनायी.
भरतजी ने राम की बात स्वीकार की. भरत ने कारूपथ पर अधिकार कर लिया. भरत ने वहाँ अंगदीपा नामक एक सुन्दर नगर बसाया. और उस नगर को चारों ओर से भव्य एवं सुरक्षित बनाया.
दूसर बसायी चन्द्रकान्ता. अमरपुरी सम दिव्य नितान्ता.
चन्द्रकेतु वपु मल्ल समाना. मल्ल देश में पुरी महाना.
दूसरा नगर चन्द्रकान्ता नामक बसाया. चन्द्रकान्ता नगर अमरपुरी के समान सुन्दर है. कुमार चंद्रकेतु का शरीर मल्ल के समान है. और मल्लदेश में वह महान पुरी है.
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प्रस्तुतकर्ता
योगेश
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