Search This Blog

Thursday, June 28, 2012

हमें सोचना ही होगा

प्रशांत योगीजी....
 आज बाजारवाद के सामने घुटने टेकते मीडिया के संवेदनहीन व्यवहार पर आपने जो उंगली उठाई है उस पर हम सभी को गंभीरता से सोचना पड़ेगा कि आखिर लोकतंत्र का चौथा खंभा कहानेवाला यह मीडिया समाज और देश को क्या दे रहा है।
-पंडित सुरेश नीरव

No comments: