आदरणीय पंडित सुरेश नीरवजी ने हिंदी पखबाड़े में एन टी पी सी नोयडा में आयोजित कार्यक्रम में हिंदी पर -हिंदी की दिशा और दशा पर करार व्यंग करते हुए एक नई पहल की शुरूआत की और कहा मुंबई से बंगाल , कश्मीर से कन्याकुमारी तक हमारे क्रांतिकारियों ने हिंदी में ही अपनी आवाज को -स्वाधीनता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है , दिल्ली चलो जैसे नारों से, बुलंद किया। 1 घंटे तक एक सराहनीय व्यक्तव्य दिया। आज एक नई शुरूआत की जरूरत है। इसके लिए मैं उनको बधाई देता हूँ। मेरे पालागन।
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