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Thursday, October 18, 2012

-डॉक्टर कृष्णकांत मधुर

मधुर प्रणाम ---------------
पहला प्रणाम मात शारदे को है मधुर ,
जिन्होंने साहित्य वाली चेतना जगाई है .
दूसरा प्रणाम उन गुरु जन को हमारा ,
जिन की कृपा से ये विचार क्रांति आई है .

तीसरा प्रणाम देश धर्म के निमित्त करूँ .
जीकर जहाँ पे सदभावना सुहाई है .
आपको है अबका प्रणाम मेरे प्यारे मित्रो ,
आपकी कृपा से कविता में जान पाई है .
-डॉक्टर कृष्णकांत मधुर

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