मित्रों ,
बहुत दिनों से ब्लॉग पर कुछ पोस्ट नहीं कर पाया ...उसका खेद है।
पिछले दिनों कुछ दोहे कहे थे ...सोचा की आज पोस्ट ही कर दूं ताकि
ब्लाग पर हाजिरी के साथ साथ ,ने दोहों पर मित्रों की राय भी मिल जाए
दिन भर बेचैनी रही ,करवट करवट रात ।
ज़ाहिर जो हमने किए ,थोड़े से ज़ज्बात । ।
नित्य नई है परीक्षा है, नित्य नए हैं प्रयोग ।
दो रोटी की जुगत में , विफल हुए सब योग । ।
कागज़ फाड़े रात भर ,किया कलम से बैर ।
सच जू मैं किल्हता अगर ,सुबह न रहती खैर । ।
उनके कर में कुछ नहीं ,लेकिन बने दिनेश ।
जाती धरम सरकार में , हमें मिले हरिकेश । ।
परबत परबत ढूँढ कर ,लाए बूटी चार ।
लाभ हानि व् प्रेम द्वेष , हर युग के हैं सार । ।
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