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Monday, December 10, 2012

ख़ुशबू के वास्ते कोई चंदन न काटिए

श्री चेतन आनंद के मुक्तक को मैं देववागरी में रूपांतरित करके लिखने की धृष्टता कर रहा हूं। वैसे आजकल बड़े आदमी लोग रोमन लिपि में ही हिंदी लिखते हैं। सोनियाजी से लेकर कैटरीना कैफ और चेतनआनंदजी तक। 
khushbu ke vaste koi chandan na katiye,
chehro ke vaste koi darpan na katiye,
ye zindagi akhbaar ke jaisi hai dosto,
isme se aap pyar ki katran na katiye.
chetan anand
ख़ुशबू के वास्ते कोई चंदन न काटिए
चेहरों के वास्ते कोई दर्पण न काटिए
ये ज़िंदगी अख़बार के जैसी ही दोस्तो
इसमें से आप प्यार की कतरन न काटिए।
-चेतन आनंद
 

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