यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Sunday, May 5, 2013
ऐसे भूलने लगते हैं लोग ....... अश्क बहाकर बैठे हैं ,हम घाव भुलाकर बैठे हैं , ज़रा सकूं ले लेने दो , अब ही घर आकर बैठे हैं . घनश्याम वशिष्ठ
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