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Sunday, May 5, 2013

ऐसे भूलने लगते हैं  लोग .......
अश्क बहाकर बैठे हैं ,हम घाव भुलाकर बैठे हैं ,
ज़रा सकूं ले लेने दो , अब ही घर आकर बैठे हैं .
घनश्याम वशिष्ठ

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