यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
Search This Blog
Saturday, August 10, 2013
पता नहीं क्यों मुझे अंधेरों से डर लगने लगा है।
सच बोलने के बाद अपनों से डर लगने लगा है।।
क्या पता कौन कब मेरा दुश्मन बन जाए।
मैंने भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है।
No comments:
Post a Comment